GDP के लिये किसी भी महामारी से बड़ा खतरा हैं अकुशल SME, नहीं हुआ स्किल डेवलमेंट तो बैठ जायेगी अर्थव्यवस्था

»

»

GDP के लिये किसी भी महामारी से बड़ा खतरा हैं अकुशल SME, नहीं हुआ स्किल डेवलमेंट तो बैठ जायेगी अर्थव्यवस्था

By Samir Sathe

भारत में देश की जीडीपी का 27 प्रतिशत हिस्सा छोटे और मझोले उद्योगों का है, कोविड से पहले ये आंकड़ा 30 प्रतिशत का था

भारत की अर्थव्यवस्था में छोटे और मझोले उपक्रमों की बड़ी अहम भूमिका है..ये उपक्रम न केवल बड़े पैमाने पर रोजगार देते हैं साथ ही जीडीपी की ग्रोथ बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण हैं..हालांकि SME क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के स्किल डेवलपमेंट का विषय चिंताजनक स्तर पर है. वाधवानी फाउंडेशन ने आकलन किया है कि अगर इस ओर जल्द कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया तो स्किल की कमी अर्थव्यवस्था के लिये 2027 तक करीब 1 लाख करोड़ डॉलर के बराबर की चोट साबित हो सकती है.

कोविड की वजह से जीडीपी में घटी एसएमई की हिस्सेदारी

2020 में एसएमई सेक्टर की जीडीपी में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है, जो कि करीब 700 अरब डॉलर के करीब है. कोविड के असर से एसएमई सेक्टर का हिस्सा घटा है. कोविड पूर्व सेक्टर का जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान था. वहीं सरकार सेक्टर की जीडीपी में हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखकर चल रही है. हालांकि इस लक्ष्य में सबसे बड़ा रोड़ा सेक्टर में योग्य कर्मियों की कमी का होना है. अगर सरकार 2026-27 तक एसएमई की हिस्सेदारी जीडीपी के 40 प्रतिशत पर पहुंचाना चाहती है तो उसे एसएमई सेक्टर का आकार 1.4 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाना होगा.जो कि उसके मौजूदा स्तर का करीब दो गुना है. अगर सरकार को ये स्तर पाना है तो उसे छोटे कारोबारियों के प्रशिक्षण पर निवेश को बढ़ाना होगा और लक्ष्य पाने के लिये निवेश को 50 करोड़ डॉलर के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 270 करोड़ डॉलर तक ले जाना होगा. एसएमई फिलहाल एक साथ कई चुनौतियों से गुजर रहा है. इसमें से कुछ अर्थव्यवस्था से मिल रही हैं तो कुछ कारोबारी की खुद की समस्याएं और सोच हैं. नीचे दिये गये ग्राफ से ही आप समझ सकेंगे कि कारोबारी मौजूदा वक्त में किस तरह के वातावरण और परिस्थितियों से गुजर रहे हैं.

Skilling India

एसएमई को लंबी अवधि की सोच के साथ चलने की जरूरत

एसएमई सेक्टर की स्थिति ऐसी है कि वो अपनी मौजूदा चुनौतियों से बाहर नहीं निकल पाते है और लगातार संघर्ष कि स्थितियों में बने रहते हैं. इसके साथ ही कोविड ने स्थितियां और चुनौती पूर्ण बना दी हैं. छोटी अवधि की सोच पर ज्यादा जोर रहने की वजह से स्किल डेवलमेपेंट जैसे लंबी अवधि की सोच वाले निवेश से अधिकांश एसएमई दूरी बनाये रहते हैं. जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने पर छोटे कारोबारी असफल हो जाते हैं. इस स्थिति से बचने के लिये जरूरी बदलावों की शुरुआत की जाये और कौशल विकास कार्यक्रमों को आवश्यक किया जाये. इसके लिये सरकार न केवल कानूनों में जरूरी बदलाव करे साथ ही एसएमई को वित्तीय सहायता भी दी जाये जिससे ऐसे कार्यक्रमों में कारोबारियों की भागेदारी बढ़ सके. फाउंडेशन का अनुमान है कि सबसे अच्छी परिस्थितियों में एसएमई सेक्टर न केवल जीडीपी में 40 प्रतिशत का योगदान कर सकेगा साथ ही रोजगार के 5 करोड़ मौके भी दे सकेगा…हालांकि स्थिति उम्मीदों के मुताबिक न रही तो आने वाले समय में 7 करोड़ रोजगार खत्म हो सकते हैं और एसएमई सेक्टर का जीडीपी में योगदान 27 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से भी फिसलकर 23 प्रतिशत पर पहुंच सकता है.

Source: TV9 Hindi

More Press Coverage

We use necessary cookies and/or similar technologies to make this website work and to collect information when you interact with this website to improve your experience. By using This website, you acknowledge and consent to our cookie policy and privacy policy