Notícias do Dia Mundial das Habilidades dos Jovens : आने वाले वक्त में हेल्थकेयर, ब्यूटी, वेलनेस, रिटेल, बीआईएफएस या कंज्यूमर सर्विस से जुड़े क्षेत्रों में तेजी से डिजिटल रोजगार बढ़ेंगे. इसके लिए डिजिटल स्किल डेवलपमेंट (Desenvolvimento de habilidades digitais) की दरकार होगी.
Dia Mundial das Habilidades dos Jovens: कोरोना के डेढ़ साल के वक्त ने रोजगार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है और अब कंपनियां ऐसे वर्क फ्रॉम होम को कामकाज की स्थायी जगह मानकर नई Skill को अहमियत देने में जुट गई हैं. फोर्ब्स की हालिया रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में 20 से 30 फीसदी नई नौकरियां वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) में स्थायी तौर पर शिफ्ट हो सकती हैं. 5 जी के बाद तो यह आंकड़ा 30 से 40 फीसदी तक भी जा सकता है. दुनिया की 84 फीसदी कंपनी अपने कामकाज का तेजी से डिजिटलीकरण (Digitalização) करने में जुट गई हैं. लेकिन इन नौकरियों में हिस्सेदारी पाने के लिए युवाओं को नए स्किल डेवलपमेंट से जुड़ी ट्रेनिंग जरूरी होगी. वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे 2021 (Dia Mundial das Habilidades dos Jovens 2021) पर ऐसे ही नए ट्रेंड से जुड़ी बातें हमने सामने रखी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भी विश्व युवा कौशल दिवस पर व्याख्यान दिया.
स्किल डेवलपमेंट के लिए कोर्स (Cursos de Desenvolvimento de Habilidades)और प्लेटफॉर्म मुहैया कराने वाले वाधवानी फाउंडेशन के वाधवानी अपार्च्युनिटी शाखा के कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट सुनील दहिया ने कहा कि डिजिटलीकरण समय की सबसे बड़ी मांग है. आने वाले वक्त में हेल्थकेयर, ब्यूटी, वेलनेस, रिटेल, बीआईएफएस या कंज्यूमर सर्विस से जुड़े क्षेत्रों में तेजी से डिजिटल रोजगार बढ़ेंगे. कोरोना के आने के वक्त काफी दिन स्किलिंग के इंस्टीट्यूट बंद हो गए, लेकिन कुछ माह बाद ही टीचर और बच्चों के लिए डिजिटल तकनीक के जरिये आमने-सामने बातचीत का हाइब्रिड मॉडल बढ़ने लगा.
स्किल की इन सेक्टरों में बढ़ी मांग
कोरोना काल आने के स्किलिंग का काम करीब 6 माह तक रुक गया था, लेकिन जल्द ही छात्रों और स्किल ट्रेनर बीच बीच डिजिटल माध्यम से ट्रेनिंग का हाइब्रिड डिजिटल इकोसिस्टम शुरू हो गया. सरकार की ओर से NSDC ने डिजिटल स्किलिंग के लिए ई स्किल्स इंडिया (E Skills India) प्रोग्राम शुरू किया. ऐसी कई सारे कौशल विकास प्रशिक्षण के कार्यक्रम हैं, जो ई स्किल्स में शुरू हो चुके हैं. राज्यों ने भी ऐसा किया है.रिटेल मैनेजमेंट, ब्यूटी वेलनस, बीएफएसआई (BFSI), आईटी जैसे कस्टमर डीलिंग सेक्टरों में डिजिटल स्किल ट्रेनिंग का स्कोप बहुत ज्यादा है. AI, VR, सिमुलेशन की मदद से इन डोमेन में ट्रेनिंग दी जा सकती है. लेकिन हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में जमीनी अनुभव जरूरी है. PMKY 4.0 में भी डिजिटल स्किल पर बहुत जोर दिया गया है.
स्थानीय भाषा में कैप्सूल ट्रेनिंग प्रोग्राम
दहिया के मुताबिक,स्किल डेवलपमेंट के निजी संस्थानों, एनजीओ, कॉलेज और यूनिवर्सिटी की महत्वपूर्ण भूमिका है.मोबाइल क्रांति से अलग-अलग स्थानीय भाषा में छोटे-छोटे कैप्सूल ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किए गए हैं. उन पर डेटा या कनेक्टिविटी पर खर्च का ज्यादा बोझ नहीं पड़ता. हिमाचल, ओडिशा, बिहार जैसे राज्यों में , एनजीओ अहम, व्हाट्सएप मॉडल
यह सच है कि हम कितने भी लोगों को स्किल दे लें, लेकिन कभी भी इतने जॉब नहीं होंगे कि सबको दे सकें. ऐसे में युवाओं को मानसिक तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है कि आप भी स्किल हासिल कर अपने (Trabalho autônomo) और दूसरों के लिए रोजगार पैदा कर सकते हो. इसके लिए इंटरप्रेन्योर माइंडसेट करिकुलम (Entrepreneur Mindset Curriculum) अलग-2 राज्यों में शुरू हो रहा हैं, जिसमें स्कूल के स्तर पर ही बच्चों को सिखाया जाता है कि उनके आस-पास किन चीजों का अभाव है, जिस पर वो काम कर सकते हैं. ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों की लड़कियों ने इसमें कमाल किया है, जिसमें कई लड़कियां अब महिंद्रा साथ काम कर रही हैं. वाधवानी फाउंडेशन इसके लिए 21वीं सदी का सॉफ्ट स्किल प्रोग्राम निशुल्क दे रहा है.
रिमोट जॉब की अहमियत बढ़ी
रिमोट जॉब (Trabalho remoto) का ट्रेंड है कि 20 फीसदी नई नौकरियां वर्क फ्रॉम होम में आ रही हैं. इससे कंपनी की लागत में कमी और उत्पादकता या कार्यक्षमता बढ़ रही है. इससे हिमाचल, उत्तराखंड, बिहार या देश के किसी भी कोने में बैठा युवा दिल्ली या मुंबई की किसी कंपनी का काम कर सकता है. यह लड़कियों के लिए बड़ा वरदान है, जिन्हें बाहर जाने-रहने में बड़ी असुविधा है. डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होने के साथ ये और तेजी से बढ़ेगा. इससे छोटे कस्बों को लाभ मिलेगा.
WFH में Habilidades interpessoais अहम--
दहिया के मुताबिक, सर्वे में करीब 1500 कंपनियों से बात कर पूछा कि भर्ती के समय आप युवाओं में क्या योग्यताएं चाहते हैं तो 60-70% सवाल सॉफ्ट स्किल पर पूछते हैं, उसका एटीट्यूड, कम्यूनिकेशन कैसा है, बातचीत में कैसा है. प्राब्लम सॉल्विंग, प्रोएक्टिव, नेचर है या नहीं, मैनेजमेंट स्किल है या नहीं. ऑटोमोबाइल, रिटेल जैसे क्षेत्रों में स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट कोर्स तो हो जाते हैं, लेकिन सॉफ्ट स्किल्स (Soft Skills) कोई नहीं सिखाता. इसलिए हमने 21st सेंचुरी सॉफ्ट स्किल्स प्रोग्राम लांच किया है, जो स्कूलों, आईटीआई-पॉलीटेक्निकल, कॉलेज और कर्मचारियों के लिए अलग है. इससे वर्क फ्रॉम होम जैसे जॉब्स या इंटरव्यू और कामकाज के दौरान भी मदद मिलेगी.
स्कूली स्तर पर काउंसिलिंग जरूरी
स्किल इंडिया मिशन के मुताबिक, स्कूल-कॉलेज (Escola-Faculdade) में स्किल डेवलपमेंट के लिए काउंसिलिंग (Aconselhamento) जरूरी है. अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे उस लाइन या स्किल को पकड़ लेते हैं, जहां उनकी रुचि नहीं होती और बाद में उसे छोड़ देते हैं. लिहाजा करियर गाइडेंस मॉड्यूल अहम है, जिसमें सेक्टर की क्या खासियत हैं, क्या ग्रोथ है, कितनी सैलरी जैसी बातों पर फोकस के साथ छात्रों की रुचि जानी जाती है. करियर डे इन लाइफ के वीडियो बनाकर पेश किए जाते हैं. इससे छात्र सिर्फ किसी इंस्टीट्यूट की खाली सीट को देकर कोई भी कोर्स ज्वाइन न कर लें. केंद्र और राज्यों के स्किल पोर्टल पर ये कोर्स मौजूद हैं.
AI-VR का भी इस्तेमाल
दूरदराज के युवाओं को स्किल ट्रेनिंग के लिए आर्टीफीशियल इंटेलीजेंसी, वीआर, सिमुलेशन जैसी तकनीकों का भी इस्तेमाल हो रहा है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इसके माध्यम से घर बैठे ही ट्रेनिंग देना संभव हो पाया है. यूपी, दिल्ली, हरियाणा, बंगाल, आंध्र औऱ कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ केंद्र एनएसडीसी (National Skill Development Council- NSDC) के जरिये बुनियादी कोर्स (Triple E) इंग्लिश इंप्लायबिलिटी इंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम शुरू किया है. युवा कोई भी स्किल सीखें, लेकिन ये बुनियादी कोर्स उन्हें सिखाया जाएगा. युवाओं को इंडस्ट्री की मांग के अनुसार, सॉफ्ट स्किल्स का कंटेंट, प्लेटफॉर्म और एनालिटिक्स एक ही जगह मुहैया हो रहा है. NCERT को भी मुहिम से जोड़ा गया.
अपग्रेडेशन भीी जरूरी
दहिया का कहना है कि स्किल ट्रेनिंग के साथ अपग्रेडेशन, रिटेंशन और प्रोग्रेशन भी जरूरी है, क्योंकि करीब 70 फीसदी युवा स्किल ट्रेनिंग के साथ कुछ माह में जॉब छोड़ देते हैं. उन्हें बार दोबारा कौशल विकास प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है. बार स्किलिंग. उस डोमेन में रहे.
फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट की बड़ी बातें...
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम की "फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2020" में बताया गया है कि मौजूदा नौकरियों के लिए आवश्यक स्किल का 42% इंटरपर्सनल कौशल (Habilidade Interpessoal) को महत्व मिलने से बदल जाएगा. रिटेल से लेकर कस्मटर सर्विस के क्षेत्र तक युवाओं को बोलने-समझने की शैली, ग्राहकों को सेवाएं देने की सूझ-बूझ और डिजिटल टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता की अहमियत ज्यादा होगी. रिपोर्ट में कहा है कि अगले पांच वर्षों में कंपनियों की सबसे पसंदीदा कौशल के तौर पर युवाओं की सोच और समस्याओं को सुलझाने को प्राथमिकता देंगी.
फिक्की-नासकॉम ने भी दिया संकेत
फिक्की(Ficci), नॉसकॉम (Nasscom) और ईवाई (EY) की रिपोर्ट, "फ्यूचर ऑफ जॉब्स इन इंडिया-ए 2022" पर्सपेक्टिव में भी कहा गया है कि 2022 तक 9% भारतीय ऐसी नौकरियों में होंगे जो आज मौजूद नहीं हैं और 37% भारतीय ऐसे क्षेत्रों में काम कर रहे होंगे. मैकिंसे के ग्लोबल सर्वे में भी कहा गया है कि कंपनियों ने अपने कस्टमर और सप्लाई चेन इंटरैक्शन और आंतरिक कामकाज के डिजिटाइजेशन में 3 से 4 साल की तेजी लाई हैं. कंपनियों के पोर्टफोलियो में डिजिटल उत्पादों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है.